पंडितजी के बारे में

आचार्य धनञ्जय जी का उज्जैन में बहुत अच्छा नाम है क्युकी गुरु जी वेद वेदांगो में पारंगत है, पूजा पद्द्ति की विशिस्ट ज्ञान से विभूषित है, वैदिक एवं शास्त्रीय विधि से कर्मकांड करवाने में निपुण है.

पंडित जी को ये समस्त गुण अपने पिता जी से प्राप्त हुए है, जिन्होंने वर्षो उज्जयनी में क्षिप्रा नदी के तट पर तप करके स्वयं को तेजोमय बनाया एवं वेदो तथा शास्त्रों की शिक्षा ग्रहण की।

हमारे हिन्दू समाज में जिनको सनातन धर्म के प्रति जागरूकता है वे समस्त धार्मिक आयोजनों एवं पूजा-अर्चना में एक विद्वान ब्राह्मण की भूमिका को समझते है और इसी कारण उनका झुकाव गुरु जी की तरफ होता है, गुरु जी के ज्ञान एवं तपोमय तेज की प्रभावित हुए बिना कोई भी यजमान रह नहीं पाता है ।

पंडितजी के बारे में

आचार्य धनञ्जय जी का उज्जैन में बहुत अच्छा नाम है क्युकी गुरु जी वेद वेदांगो में पारंगत है, पूजा पद्द्ति की विशिस्ट ज्ञान से विभूषित है, वैदिक एवं शास्त्रीय विधि से कर्मकांड करवाने में निपुण है.

पंडित जी को ये समस्त गुण अपने पिता जी से प्राप्त हुए है, जिन्होंने वर्षो उज्जयनी में क्षिप्रा नदी के तट पर तप करके स्वयं को तेजोमय बनाया एवं वेदो तथा शास्त्रों की शिक्षा ग्रहण की।

हमारे हिन्दू समाज में जिनको सनातन धर्म के प्रति जागरूकता है वे समस्त धार्मिक आयोजनों एवं पूजा-अर्चना में एक विद्वान ब्राह्मण की भूमिका को समझते है और इसी कारण उनका झुकाव गुरु जी की तरफ होता है, गुरु जी के ज्ञान एवं तपोमय तेज की प्रभावित हुए बिना कोई भी यजमान रह नहीं पाता है ।

पंडित जी की विशेषज्ञता -:

Who We are

पूजा और अनुष्ठान जिनमे पंडित जी की विशेषज्ञता हैं: दोष निवारणार्थ अनुष्ठान मंगल दोष निवारण  सम्पूर्ण कालसर्प दोष निवारण नवग्रह शांति

उज्जैन मध्य प्रदेश में स्तिथ एक प्राचीन धार्मिक देव नगरी  है | उज्जैन माँ शिप्रा के तट पर स्तिथ हे | उज्जैन में 12 ज्योतिर्लिंग में से एक दक्षिणमुखी ज्योतिलिन भी हे , दक्षिणमुखी ज्योतिलिंग भगवान महाकालेश्वर के नाम से विश्व विख्यात हे , उज्जैन को बाबा महाकाल व विक्रमादित्य की नगरी से भी जाना जाता हे | उज्जैन में तीन गणपति विराजमान में व दो शक्ति पीठ भी हे उज्जैन को भगवान मंगलनाथ की जन्म भी मन गया हे उज्जैन के श्मशान को तीर्थ मन हे इसे चक्रतीर्थ में नाम से जाना जाता हे , उज्जैन एक धार्मिक देव नगरी होने के कारण यहाँ पर होने वाली पूजा का भी विशेष महत्व हे | उज्जैन में होने वाली पूजा में मुख्य पूजा काल सर्प दोष पूजा , मंगल दोष पूजा , पितृ दोष पूजा आदि हे |

काल सर्प दोष के प्रकार

अनंत कालसर्प दोष
अनंत कालसर्प दोष

अनंत कालसर्प दोष जातक की कुंडली में तब बनता है, जब कुंडली के प्रथम भाव में राहु और सप्तम भाव में केतु मौजूद होता है। जब जातक की कुंडली में यह दोष होता है, तो उसे सफलता पाने के लिए अधिक समय तक संघर्ष करना पड़ता है। हालाँकि आप सफल होने के लिए बहुत मेहनत करोगे। लेकिन परिणाम आपको देर से ही मिलेगा। अनंत कालसर्प दोष आपको लगातार बाधाओं और चुनौतियों से परिचित कराकर आपके धैर्य की परीक्षा लेगा। इस दोष के कारण व्यक्ति को अपने जीवन के सभी पहलुओं में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन यदि आप आशा नहीं खोते हैं, तो आपको बाद में सफलता मिलेगी।

कुलिक कालसर्प दोष
कुलिक कालसर्प दोष

जातक की कुंडली के दूसरे भाव में राहु और आठवें भाव में केतु होने पर कुलिक कालसर्प दोष बनता है। ऐसा माना जाता है कि यह दोष जातक के जीवन में आर्थिक नुकसान, कर्ज और कई अन्य बाधाएं लाता है। यदि आप किसी व्यवसाय में हैं, तो उसे पूरी ईमानदारी से करें। जब वैवाहिक जीवन की बात आती है, तो कुलिक दोष जातक के जीवन में परेशानी लाता है। हालाँकि, आपको लग सकता है कि आप समय से पहले बूढ़े हो रहे हैं, इसलिए आपको अपने स्वास्थ्य की देखभाल करनी चाहिए। सिगरेट, तंबाकू आदि नशीले पदार्थों का सेवन न करें।

वासुकि कालसर्प दोष
वासुकि कालसर्प दोष

वासुकि कालसर्प दोष तब बनता है, जब जातक की कुंडली में राहु तीसरे भाव में होता है और केतु नौवें स्थान पर विराजमान होता है। यह दोष न केवल जातक के जीवन में बाधा डालता है बल्कि उनसे संबंधित लोगों जैसे भाई-बहन, माता-पिता, जीवनसाथी आदि के जीवन में भी बाधा डालता है। इस दोष के कारण परिवार में अशांति का माहौल बन सकता है। हालाँकि, अच्छी बात यह है कि व्यक्ति को आर्थिक सफलता मिलेगी, क्योंकि वह इसके लिए कड़ी मेहनत कर सकता है।

शंखपाल कालसर्प दोष
शंखपाल कालसर्प दोष

कुंडली के चौथे भाव में राहु और दसवें भाव में केतु के विराजमान होने पर व्यक्ति की कुंडली में शंखपाल कालसर्प दोष बनता है। कुंडली में इस योग का बनना जातक के जीवन में आने वाली आर्थिक तंगी, बीमारी और अव्यवस्था का संकेत है। यह प्यार, बच्चे की शिक्षा आदि जैसे तत्वों को बाधित कर सकता है। यदि आप युवा है, तो आपको को जीवन में सही चीज का चुनाव करने में मुश्किल होगी। इस दोष के कारण जातकों को प्रॉपर्टी से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, इसलिए इस तरह का कोई भी सौदा उचित जांच-परख कर ही करना चाहिए।

पद्म कालसर्प दोष
पद्म कालसर्प दोष

जब कुंडली के पंचम भाव में राहु और 11वें भाव में केतु हो, तो पद्म कालसर्प दोष बनता है। यह योग छात्रों के लिए विशेष रूप से हानिकारक है, क्योंकि वे पढ़ाई में एकाग्रता खो सकते हैं और गलत कार्यों में लिप्त हो सकते हैं। इसलिए इस दौरान माता-पिता को अपने बच्चों पर नजर रखनी चाहिए। आपको यह भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि आप अपने बच्चे को शिक्षा के क्षेत्र में सही विकल्प चुनने में मदद करें। साथ ही यह दोष करियर की प्रगति में बाधा डाल सकता है। यदि आप नए अवसरों की तलाश में हैं, तो आपको अपने साथी से सलाह करने के बाद निर्णय लेना चाहिए।

महापद्म कालसर्प दोष
महापद्म कालसर्प दोष

महापद्म कालसर्प दोष तब बनता है, जब राहु कुंडली के 6 वें भाव में हो और केतु 12 वें भाव में होता है। कालसर्प दोष के कारण जातक को स्वास्थ्य परेशानियो का सामना करना पड़ता है। लेकिन जब महापद्म कालसर्प दोष बनता हैं, तो व्यक्ति अपने सभी दुश्मनों पर आसानी से जीत हासिल कर लेता है। ज्ञान में वृद्धि और जीवन में कुछ सार्थक और बड़ा करने के लिए यह अवधि उत्तम है। हालांकि, दोष के कारण जातक को तनाव हो सकता है। इस दोष के कारण जातक को विदेश में व्यापार करने से लाभ हो सकता है।

तक्षक कालसर्प दोष
तक्षक कालसर्प दोष

तक्षक कालसर्प दोष तब बनता है जब कुंडली के सातवें भाव में राहु और लग्न या पहले भाव में केतु होता है। यदि जातक की कुंडली में यह दोष होता है, तो उसे विवाह में देरी का सामना करना पड़ सकता है। शादी में देरी आपके माता-पिता के लिए भी तनाव का कारण बन सकता है। अगर आप विवाहित हैं, तो ससुराल पक्ष के कारण परेशानी हो सकती है। ऐसी स्थितियां भी उत्पन्न हो सकती हैं जब आप तलाक के बारे में सोच सकते हैं। इसके अलावा, तक्षक कालसर्प दोष के कारण प्रेम विवाह पर विचार नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से शादी के बाद प्यार में बाधा आ सकती हैं।

कर्कोटक कालसर्प दोष
कर्कोटक कालसर्प दोष

कर्कोटक कालसर्प दोष तब बनता है जब जातक की कुंडली के दूसरे भाव में केतु और आठवें भाव में राहु होता है। कर्कोटक कालसर्प दोष धन प्राप्ति में बाधा उत्पन्न करने के लिए उत्तरदायी है। इस दोष के कारण करियर की प्रगति में बाधा आ सकती है, क्योंकि आपको नौकरी और पदोन्नति पाने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता हैं। कर्कोटक कालसर्प दोष के कारण जातक को सच बोलने की आदत हो जाती है। यह एक अच्छी बात है। लेकिन यह आदत जातक को अपने लिए अच्छे अवसर हासिल करने से रोक सकती है। इसका मतलब यह नहीं है कि आपको सच नहीं बोलना चाहिए। लेकिन किसी से भी बात करने से पहले आपको सोच विचार जरूर करना चाहिए।

शंखचूड़ कालसर्प दोष
शंखचूड़ कालसर्प दोष

शंखचूड़ कालसर्प दोष तब बनता है, जब राहु छठे भाव में होता है और केतु कुंडली के बारहवें भाव में होता है। इस दोष की अच्छी बात यह है कि इस दोष के कारण जातक की सभी मनोकामनाएं आमतौर पर पूरी होती हैं। हालाँकि, इच्छाओं की पूर्ति में देरी हो सकती है, जो आपको निराश कर सकती है। शंखचूड़ कालसर्प दोष से जातक के परिवार और घर में अधिक कष्ट हो सकता है। इस अवधि में यह सुझाव दिया जाता है कि आप अपने परिवार पर ध्यान केंद्रित करें और लेन-देन न करें, क्योंकि इसके कारण आपको निकट भविष्य में परेशानी हो सकती हैं।

घातक कालसर्प दोष
घातक कालसर्प दोष

ज्योतिषियों के अनुसार, कुंडली में घातक कालसर्प दोष तब बनता है, जब राहु दसवें भाव में और केतु जातक की कुंडली के चौथे भाव में बैठता है। जब आपकी कुंडली में यह दोष होता है, तो आपको अपनी मां की सेवा और अधिक देखभाल करनी चाहिए। यह आपके जीवन की स्थिति को बेहतर बनाने में मदद करेगा। हालाँकि, इस दौरान आपको अपनी मां से उस प्रकार का स्नेह नहीं मिलेगा, जिसकी आप इच्छा रखते है। घातक कालसर्प दोष के कारण व्यक्ति अभिमानी हो जाता है। आपका अहंकार आपके व्यक्तिगत बल्कि आपके पेशेवर संबंधों में भी बाधा डाल सकता है।

विषधर कालसर्प दोष
विषधर कालसर्प दोष

विषधर कालसर्प दोष तब बनता है, जब राहु ग्रह 11वें भाव में हो और केतु 5वें भाव में बैठा होता है। यह दोष शिक्षा विशेषकर उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले के लिए घातक हो सकता है। इसके कारण जातक को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में काफी बाधाएं आती हैं। हालांकि, तमाम बाधाओं के बावजूद उनका धैर्य और प्रतिबद्धता उन्हें आगे बढ़ने में मदद कर सकती हैं। यदि वे अपने देश के बजाय विदेश से अपना करियर बनाते हैं, तो ये लोग अपने पेशेवर जीवन में बेहतर प्रदर्शन करते हैं। परिवार में जातक को दादा-दादी से लाभ मिलने के बाद भी संपत्ति का नुकसान उठाना पड़ता है।

शेषनाग कालसर्प दोष
शेषनाग कालसर्प दोष

शेषनाग कालसर्प दोष तब बनता है, जब कुंडली के बारहवें भाव में राहु और छठे भाव में केतु ग्रह विराजमान होता है। शेषनाग कालसर्प दोष के कारण लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। हालांकि, इसमें थोड़ी देरी हो सकती हैं। इस दोष की उपस्थिति में जातक को अपनी आय से अधिक खर्च करने की आदत हो सकती है। यही कारण है कि जातक पर अधिक ऋण हो सकता है। 42 वर्ष की आयु के बाद जातक के जीवन में एक समय ऐसा आता है, जब वे समाज में स्वयं को प्रतिष्ठित स्थान पर पाता हैं। हालाँकि, इसके लिए आपको निरंतर कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता की आवश्यकता होगी।

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मंगल दोष पूजा उज्जैन

मनुष्य के स्वभाव, व्यवहार, उत्थान और पतन में कर्मो के साथ साथ ग्रहो की गति का भी महत्त्व होगा, कुंडली में मंगल दोष के कारण कुछ लोगो का स्वभाव गुस्सैल, चिड़चिड़ा हो जाता है, और अकारण ही या तो विवाह में विलम्ब होता है या फिर वैवाहिक जीवन में उथल पुथल बनी रहती है। अब एक प्रश्न ये है की मंगल दोष क्यों होता है ? अगर बिना किसी प्रमाण के बात की जाय कुछ लोग कह देते है की जो मंगल को जन्मा है उसकी कुंडली में मंगल का दोष होगा लेकिन सिर्फ यही एक कारण नहीं है इसका कारण है कुंडली के बारह भागो में मंगल गृह की स्थिति क्या है।

काल सर्प दोष उज्जैन

उज्जैन मध्य प्रदेश में स्तिथ एक प्राचीन धार्मिक देव नगरी है | उज्जैन माँ शिप्रा के तट पर स्तिथ हे | उज्जैन में 12 ज्योतिर्लिंग में से एक दक्षिणमुखी ज्योतिलिन भी हे , दक्षिणमुखी ज्योतिलिंग भगवान महाकालेश्वर के नाम से विश्व विख्यात हे , उज्जैन को बाबा महाकाल व विक्रमादित्य की नगरी से भी जाना जाता हे | उज्जैन में तीन गणपति विराजमान में व दो शक्ति पीठ भी हे उज्जैन को भगवान मंगलनाथ की जन्म भी मन गया हे उज्जैन के श्मशान को तीर्थ मन हे इसे चक्रतीर्थ में नाम से जाना जाता हे , उज्जैन एक धार्मिक देव नगरी होने के कारण यहाँ पर होने वाली पूजा का भी विशेष महत्व हे |

नवग्रह शांति पूजा उज्जैन

नवग्रह शांति पूजा एक परंपरागत आयोजन है जिसमें नौ ग्रहों की शांति और कुंडली में दिखाई देने वाली किसी भी दोष या परेशानी को दूर करने के लिए आयोजित की जाती है। यह पूजा हिन्दू धर्म में मान्यता प्राप्त है और यह समस्याओं को दूर करने और जीवन में शुभता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए की जाती है। उज्जैन शहर मध्य प्रदेश, भारत में स्थित है और यह नवग्रह शांति पूजा के लिए एक प्रमुख स्थल है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए भी यहां लाखों श्रद्धालु आते हैं।

महामृत्युंजय जाप उज्जैन

महामृत्युंजय मंत्र ज्योतिष और धार्मिक अर्थ में एक महत्वपूर्ण मंत्र है, जिसे महामृत्युंजय महामंत्र भी कहा जाता है। यह मंत्र भगवान शिव को समर्पित है और इसका जाप अमरत्व और भगवान की कृपा प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस मंत्र का जाप करने से लोग मृत्यु के भय से मुक्त होने की प्राप्ति करते हैं और उन्हें शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह मंत्र खासतर संकट और बिगड़े हालात में भी प्रायः उपयोग किया जाता है।

vastu dosh shanti puja

वास्तु दोष शांति उज्जैन

वास्तु दोष शांति उज्जैन जैसे प्रमुख धार्मिक स्थलों में आयोजित की जाती है जहाँ वास्तु दोषों को दूर करने का प्रयास किया जाता है। वास्तु दोष शांति पूजा में विशेष मंत्र, मन्त्र, और हवन कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिनका उद्देश्य घर या व्यापारी स्थान में मौजूद दोषों को दूर करना होता है। वास्तु दोष शांति पूजा एक परंपरागत हिन्दू पूजा है जिसका उद्देश्य घर या कार्यस्थल में वास्तु दोषों को दूर करना होता है।

Guru puja

गुरु चांडाल दोष शांति पूजा उज्जैन

गुरु चांडाल दोष शांति पूजा वास्तव में मुख्य रूप से ज्योतिष और हिन्दू धर्म के संदर्भ में आती है, जिसका उद्देश्य गुरु ग्रह (बृहस्पति) के दोषों को शांत करना होता है। यह मान्यता है कि जब कोई व्यक्ति की जन्मकुंडली में गुरु ग्रह के दोष होते हैं, तो उनकी ग्रह स्थिति के कारण उन्हें कई प्रकार की समस्याएँ हो सकती हैं। इसके उपाय के रूप में गुरु चांडाल दोष शांति पूजा किया जाता है।

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Our Happy Clients!

Had the privilege of seeking Pandit ji’s services for Mangal Bhat Puja in Ujjain, and I must say the experience was truly divine. The puja was performed with utmost sincerity and devotion, and it brought a sense of tranquility to my home.

5/5
Raghvendra Tiwari

Pandit ji ne Mangal Bhat Puja Ujjain mein karwayi, aur woh anubhav sach mein adbhut tha. Puja bahut shuddh aur bhakti bhav se ki gayi, jisse meri ghar ki mahaul mein shaanti ka anubhav hua.

5/5

Himanshu Mishra

Pandit ji ki dayalu aur samarpan bhav se bhara vyavhaar aur Kaal Sarp Dosh Puja ke prabhav ne mujh par gehra asar chhoda

5/5

Deepak Tiwari

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