मंगल दोष

ज्योतिष शास्त्र में माना  गया हे की जब किसी जातक की कुंडली में  ग्रहो की स्तिथि में चतुर्थ भाव,सप्तम भाव,अष्टम भाव,द्वादश भाव में मंगल  हो तो  तब जातक  को मंगल दोष से घर्षित हे | 

 

ऐसा मन जाता हे की मंगल दोष घर्षित व्यक्ति के जीवन में मंगल दोष का  दुष प्रभाव  विवाह में समय व विवाहिक जीवन पर पड़ता हे , विवाह में रूकावट , पति पत्नी के बिच नोक जोक होना , आदि अनेक मंगल दोष के दोष प्रभाव के कारण हो सकते  हे | ज्योतिष शास्त्र  के अनुसार मंगल दोष निवारण  के लिए अनेक उपाय बताये गए है, मंगलवार का व्रत करना , हनुमान चालीसा का पाठ करना , हनुमान जी को चोला अर्पित करना , मंगलवार के दिन लाल वस्त्र पहनना , हनुमान जी को लाल सिंदूर अर्पित करना आदि अनेक उपाय के द्वारा आप मंगल दोष के दुष पारीणाम को काम किया जा सकता हे | ज्योतिष सस्त्र  में मंगल दोष  निवारण के लिए एक विशेष प्रकार की पूजा बताई  जिसे मंगल दोष निवारण पूजा कहा जाता हे |

  1. मंगल दोष पूजा के माध्यम से कुंडली में मंगल गृह के दोष प्रभावों  को दूर किया जा सकता है 
  2. मंगल दोष पूजा पुरे भारत वर्ष में केवल उज्जैन में ही की जाती हे,क्योंकी उज्जैन ही भगवान महा मंगल की जन्म भूमि भी है | 
  3. यहाँ पर भगवान महामंगल को प्रसाद के रूप में  भात का भोग लगाया जाता हे जिसे मंगल भात भी कहते है | 
  4. मांगलिक व्यक्ति द्वारा मंगल दोष के निराकरण हेतु मंगल दोष पूजा कराई  जाती है 
  5. मांगलिक व्यक्ति को सबसे ज्यादा परेशानी अपने विवाहित जीवन को लेकर होती हे | 
  6. ज्योतिष शास्त्र में कहा काया हे की एक मांगलिक व्यक्ति दूसरे मांगलिक व्यक्ति से ही शादी कर सकता हे | अर्थात : वर मांगलिक हे तो वधु भी मांगलिक होनी चाहिए |
  7.  शास्त्र  के अनुसार एक दूसरे के योग से मंगल दोष का प्रभाव  काम हो जाता हे | 
  8.  इस पूजा के दौरान, लोग मंगल दोष के नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा के लिए भगवान महा मंगल से प्रार्थना करते हैं। 
  9. वे प्रार्थना करते हैं, भात  चढ़ाते हैं,और भगवान को प्रसन्न करने के लिए मंत्रों का पाठ करने जैसे अनुष्ठान करते हैं।

क्या हे मंगल दोष निवारण पूजा :

 मंगल दोष निवारण पूजा एक विशेष प्रकार की पूजा होती हे जो मंगल दोष के निवारण के लिए की जाती हे | 

 

कहा होती हे मंगल दोष  पूजा : 

 

उज्जैन मध्य प्रदेश में स्थित एक  विश्व प्रसिद्ध  प्राचीन सनातनी धार्मिक देव नगरी हे | उज्जैन माँ शिप्रा नदी के तट पर एक प्राचीन शहर हे | उज्जैन  राजा विक्रमादित्य की राजधानी भी रही हे | उज्जैन को कालिदास की नगरी से भी जाना जाता हे , उज्जैन में भगवान शिव के 12  ज्योतिर्लिंग में से एक दक्षिण मुखी ज्योतिर्लिंग  जो भगवान महाकालेश्वर के नाम से विश्व  प्रसिद्ध हे | उज्जैन बाबा महाकालेश्वर की नगरी के नाम से विश्व प्रसिद्ध हे | उज्जैन में अनेक  मंदिर हे इसी कारण से उज्जैन को मंदिरो की नगरी भी कहते हे , उज्जैन में विश्व प्रसिद्ध मंगल नाथ मंदिर भी हे , मंगल नाथ मंदिर को पृथ्वी का केंद्र  माना  जाता हे | मंगल नाथ मंदिर को भगवान महा मंगल  की जन्म भुमि माना  गया हे | मंगलनाथ मंदिर में मंगल दोष निवारण , काल सर्प दोष निवारण , पितृ दोष  सम्बंधित  विशेष  पूजा होती है | पुरे भारत वर्ष  में उज्जैन में ही  केवल मंगल दोष पूजा की जाती हे | उज्जैन मंगल दोष पूजा का भी विशेष महत्व हे , उज्जैन देव नगरी के साथ साथ , भगवान  महाकालेश्वर   की नगरी भी  बाबा महाकाल   स्वयं शम्भू हे , उज्जैन भगवान महा मंगल की जन्म भूमि हे |   पुराणों में उज्जैन को देव नगरी व एक विशेष नगरी का दायित्व प्राप्त हे इसलिए उज्जैन में मंगल दोष पूजा व काल सर्प दोष पूजा का विशेष महत्व माना  जाता हे |